30 step जो एक बार जरूर देखना चाहिए I इंटरव्यू की पूरी तैयारी जो इंटरव्यू के लिए जरुरी है
साक्षात्कार
अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र तथा महत्व
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सामान्यतः साक्षात्कार किसी भी प्रशासनिक या निजी क्षेत्र की प्रवेश प्रक्रिया या सेवा में चयन का अभिन्न अंग बन गया है। सरकारी क्षेत्र में जहाँ लिखित परीक्षा के पश्चात् साक्षात्कार का आयोजन होता है, वही निजी क्षेत्र में साक्षात्कार एवं समूह चचर्चा के द्वारा ही चयन प्रक्रिया सम्पादित की जाती है। साक्षात्कार की प्रक्रिया को सर्वप्रथम विश्व स्तर पर 1909 में इंग्लैण्ड ने अपनाया था।
साक्षात्कार किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली एक अंतक्रिया या वार्तालाप है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से पद, पदोन्नति अथवा शिक्षण संस्थान में प्रवेश हेतु उसकी उपयुक्तता की जाँच करने के लिए कुछ विशिष्ट प्रश्न पूछता है।
हैडर के कथनानुसार 'साक्षात्कार दो या अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाला वार्तालाप है।'
वर्तमान में संघ लोक सेवा आयोग, विभिन्न राज्य लोक सेवा आयोग और भर्ती बोर्ड व्यापम सिविल सेवा अधीनस्थ सेवा तथा उच्च राजकीय सेवा पदों के एवं सचिवालय सेवा के लिए अनिवार्य रूप से साक्षात्कार या व्यक्तित्व परीक्षण लिया जाता है।
लिखित परीक्षा से प्रत्याशी की केवल स्मरण शक्ति का ही परीक्षण हो पाता है। जबकि साक्षात्कार से उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व से उसके मनोविज्ञान की झलक प्राप्त हो जाती है । साक्षात्कारकर्ता प्रत्याशी के व्यवहार संवाद कौशल सामान्य जागरूकता निर्णनय समक्ष और सामान्य ज्ञान विभिन्न परिस्थितियों में उसकी निर्णय क्षमता, आत्मविश्वास, धैर्यशीलता, पद से संबंधित विधियों एवं प्रक्रियाओं का ज्ञान, तकनीकी ज्ञान आदि से उसकी उपयुक्तता आदि का आँकलन करता है।
साक्षात्कार के उद्देश्य लोक सेवा आयोग या कर्मचारी चयन आयोग के साक्षात्कार में सामान्य रूप से निम्नलिखित उद्देश्य हो सकते हैं -
1. प्रत्याशी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परखना (जीवनवृत्त)
2. पद के लिए प्रत्याशी की उपयुक्तता हेतु उसकी बौद्धिक क्षमताओं, सामाजिक परिवेश एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि तथा व्यक्तित्व की विशेषताओं का आंकलन करना।
3. प्रत्याशी के जीवन का लक्ष्य और उसकी आवश्यकताओं की जानकारी
4. यह पता लगाना कि प्रत्याशी को पद कार्यक्षेत्र या संगठन के विषय में सम्पूर्ण प्राप्त जानकारी है अथवा नहीं।
5. यह जाँचना कि उत्तेजनापूर्ण या तनावपूर्ण परिस्थितियों में वह कैसा व्यवहार करता है। कहीं वह अपना शारीरिक एवं मानसिक संतुलन खो तो नहीं बैठता है।
ध्यान रहे - प्रतियोगी परीक्षाओं में परीक्षा चाहे किसी भी स्तर की हो जो प्रतियोगी अच्छा प्रदर्शन करता है वह अपनी सफलता सुनिश्चित कर लेता है। साक्षात्कार के अंक मुख्यतः लिखित परीक्षा के न्यूनतम 12 प्रतिशत होते या 15प्रतिशत होते हैं।
परीक्षा में साक्षात्कार के समय संबंधित विषय विशेषज्ञ एवं मनोवैज्ञानिक तथा न्यायिक सेवा में न्यायाधीश को भी साक्षात्कार बोर्ड में शामिल किया जाता है अतः आवश्यक है कि आपको विषय एवं विधि प्रक्रिया की जानकारी हो। विषय संबंधी एवं सामान्य जागरूकता एवं समसामयिक घटनाओं से संबंधित छोटे-छोटे प्रश्न पूछे जाते हैं तथा प्रश्न सैद्धांतिक स्वरूप के होते हैं जो आगे इसी पुस्तक विषयवार में दिए जा रहे हैं।
बायोडाटा
बायोडाटा (जीवन-वृत्त) को रिज्यूम या करिकुलम वाइटे भी कहा जाता है। साक्षात्कार में बायोडाटा का अत्यधिक महत्तव होता है, चूँकि बायोडाटा में आपकी शिक्षा, अनुभव, उपलब्धियों, रूचियों, चरित्र की विशेषताओं आदि का संक्षिप्त विवरण होता है। इसलिए साक्षात्कारकर्त्ता साक्षात्कार से पूर्वक ही बायोडाटा के आधार पर आपके व्यक्तित्व अ का अनुमान लगा लेते हैं और उनके मध्य आपकी एक प्रारंभिक छवि बन जाती है। इसी के आधार पर वे आपके साक्षात्कार की दिशा निश्चित करते हैं। बायोडाटा का निर्माण और उनमें तथ्यों के प्रस्तुतिकरण का ढंग अंतिम रूप चयन में विशेष भूमिका निभाता है। इसलिए बायोडाटा संक्षिप्त, सरल, आकर्षक एवं
प्रभावशाली होना चाहिए। नमूनार्थ साक्षात्कार पत्रक को भरकर अपना बायोडाटा रफ रूपतैयार कर लें।
नाम - सामान्यतः साक्षात्कार का आरंभ अभ्यर्थी से उसका नाम पूछकर किया जाता है। यदि अभ्यर्थी के नाम का कोई विशेष अर्थ है अथवा यदि उसका नाम किसी ऐतिहासिक अथवा धार्मिक महत्व का है, तो इस संबंध में उससे पूरक प्रश्न भी किये जा सकते हैं। यथा - यदि किसी अभ्यर्थी का नाम सुभाष है, तो उसे सुभाष चंद्र बोस पर प्रश्नों का उत्तर देने के लिए तैयार रहना चाहिये। इसी प्रकार यदि किसी अभ्यर्थी का नाम किसी सामयिक हस्ती के नाम से मिलता है, तो उस अभ्यर्थी से उस हस्ती के संबंध में प्रश्न किया जा सकता है।
जन्म तिथि -अभ्यर्थी की जन्म तिथि भी उसके व्यक्ति परिचय का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। उसे अपनी जन्म तिथि के ऐतिहासिक महत्व (यदि है) अथवा उस दिन घटित हुई प्रमुख घटनाओं की जानकारी होनी चाहिये। यथा यदि किसी अभ्यर्थी की जन्म तिथि 6 अगस्त है, तो उसे हिरोशिमा की परमाणु त्रासदी एवं उस दिन घटित अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी होनी चाहिये।
गृह राज्य -अभ्यर्थी के व्यक्ति परिचय का एक महत्वपूर्ण अंग है वह गृह राज्य, जिसका वह निवासी है। अभ्यर्थी से उसके गृह राज्य, उसके इतिहास भौगोलिक स्थिति, संस्कृति एवं अन्य महत्वपूर्ण पक्षों के संदर्भ में भी प्रश्न किये जाते हैं। अतः किसी भी अभ्यर्थी से यह अपेक्षा रहती हैं। अतः किसी भी अभ्यर्थी से यह अपेक्षा रहती है कि उसे अपने गृह राज्य तथा उसकी सभ्यताओं के संबंध में सामान्य जानकारी अवश्य हो। विविध राज्यों की संस्कृति तथा सभ्यताओं में अंतर है, एतदर्थ इन राज्यों के अभ्यर्थियों से पूछे जाने वाले प्रश्नों का विषय भी पृथक् हो सकता है। यथा राज्य में सामंतवादी प्रथाओं के अवशेष तथा इनके उन्मूलन के उपाय, पर्दा प्रथा बाल-विवाह, सती प्रथा आदि सामाजिक कुरीतियों तथा इनके उन्मूलन हेतु सुझाव तथा वहाँ की लोक संस्कृति, लोक उत्सवों, लोक संगीत, लोक नृत्यों आदि पर प्रश्न किये जा सकते हैं। साथ ही आपके जिले के संबंध में यहाँ की जनसंख्या, नगरपालिकाओं की संख्या पायी जाने वाली विशिष्ट जनजाति एवं पर्यटन संबंधी प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं।
राजनीतिक- भारत एक लोकतंत्र है। यहाँ प्रत्येक व्यक्ति को जहाँ शासन में सहभागिता प्राप्त है, वहीं उसके राजनैतिक कर्तव्य भी हैं। अतः सिविल सेवा न्यायिक के साक्षात्कार में प्रविष्ट होने वाले अभ्यर्थियों से उपेक्षा की जाती है कि उन्हें राष्ट्र के संविधान यहाँ की राजनीतिक स्थिति एवं समस्याओं तथा अपने राजनैतिक कर्त्तव्यों के बारे में उपेक्षित जानकारी प्राप्त हो। इसके अंतर्गत उम्मीद्वार से भारत के शासन प्रशासन एवं राजनीतिक स्थिति, समस्याओं एवं विवादाग्रस्त पक्षों पर प्रश्न पूछे जाते हैं। भारत के लोकतंत्र व संसदीय प्रणाली तथा इसकी व्यावहारिक स्थिति जातिवाद तथा आरक्षण की स्थिति, धर्म निरपेक्षता तथा साम्प्रदायिकता, राज्यपाल की स्थिति कतिपय संवैधानिक पक्षों यथा मूल अधिकार, नीति निर्देशक तत्व, न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका तथा कार्यपालिका बनाम विधायिका आदि पर प्रश्न किये जाते हैं। अतः इस संबंध में सामान्य जानकारी होने के साथ विश्लेषणात्मक क्षमता का होना भी आवश्यक है।
अंतर्राष्ट्रीय - वर्तमान समय में संचार एवं यातायात के साधनों ने भौगोलिक दूरियों को बहुत कम कर दिया है एवं विश्व एक इकाई बनकर रह गया है। साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण में सम्मिलित होने वाले अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह अंतर्राष्ट्रीय पटल पर घटित होने वाली विविध महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में सचेत हो, क्योंकि वर्तमान में कोई भी महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय घटना राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना प्रभाव अवश्य छोड़ती है।
इसके अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय पटल पर घटित होने वाली विविध घटनाओं तथा उनके भारत पर पड़ते वाले प्रभावों के विषय में प्रश्न किये जाते हैं। इसके अंतर्गत भारत के पड़ोसी तथा अन्य राष्ट्रों के साथ संबंध भारत की परमाणवीय नीति तथा सी.टी.बी. टी. पर हस्ताक्षर का प्रश्न, विश्व में महाशक्तियों की स्थिति, अमेरिका की प्रभुत्ववादी नीतियाँ, यूरोप का राजनीतिक एकीकरण, पश्चिमी एशिया में शांति की संभावना, संयुक्त राष्ट्र संघ हो गये की स्थिति तथा भविष्य, सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता तथा इस संबंध में भारत का चाहेंगे दावा, गुट निरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिकता तथा क्षेत्रीय संगठनों नाटों, सार्क, आसियान आदि के संबंध में प्रश्न किये जाते हैं, यथा
क्या संयुक्त राज्य अमेरिका में हेलरी क्लिंटन के राष्ट्रपति बनने पर भारत के प्रति उनका दृष्टिकोण खुला एवं सकारात्मक रहेगा।
नेपाल में प्रजातंत्र लागू होने से भारत में क्या प्रभाव पड़ेगा। भारत अमेरिका के बीच परमाणु समझौते कि प्रमुख बाधाएँ क्या हैं।
परमाणु ऊर्जा अधिनियम
1,2,3 के बारे में बताइये । भारत व चीन के रिश्ते सामान्य बनाने के लिए भारत द्वारा क्या कदम उठायें गये। भारत इजरायल समझौते के बारे में अपना दृष्टिकोण देते हुए महत्व बताइये ।
क्या वर्तमान शिमला समझौता अप्रासंगिक हो गया है। भारत और पाकिस्तान के मध्य संबंधों को सामान्य बनाने के लिए किये गये प्रयासों के मद्देनजर क्या आप मानते हैं कि संबंधों में सुधार की दिशा में कोई वास्तविक प्रगति हो सकेगी?
क्या विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत को सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिये?
प्रायः यह कहा जाता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ राजनैतिक क्षेत्र में पूर्णतः निष्क्रिय हो गया है एवं डमी बनकर रहा गया है। क्या आप सहमत हैं?
पाकिस्तान में सैन्य शासन की स्थापना से क्या हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि वहाँ लोकतंत्र सर्वदा के लिए धूल धूसरित हो चुका है? क्या पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थापना के लिये भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार हो सकता है? अमेरिका राष्ट्रपति बाराक ओबामा की भारत यात्रा का क्या हमें यह निष्कर्ष निकालना चाहिये कि अमेरिका अब अपनी विदेश नीति में पाकिस्तान से अधिक महत्व भारत को देने लगा है?
क्या आपको लगता है कि भारतीय विदेश नीति के आदर्श अथवा सिद्धांत अप्रसांगिक संघ हो गये हैं? 21वीं सदी के मद्देनजर आप भारतीय विदेश नीति के क्या परिवर्तन सुझाना का चाहेंगे?
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की चीन यात्रा से प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ेंगे? लोक सेवा गारंटी अधिनियम प्रशासन को कहाँ तक प्रभावशील बना रहा है? सूचना का अधिकार प्रशासन की पारदर्शिता के लिए कितना उपयोगी है ? राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण पर्यावरण नियंत्रण के लिए कहाँ तक सहायक है?
मध्यप्रदेश में परिवहन एवं संचार में निजी कंपनियों की क्या भूमिका है?
सामाजिक- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है एवं इसी कारण वह स्वाभाविक रूप
से स्वयं तक सिमटकर नहीं रह सकता। अभ्यर्थी समाज का एक जागरूक एवं प्रबुद्ध सदस्य होता है एवं उससे अपेक्षा की जाती है कि वह समाज की विविध समस्याओं तथा उनके निदान के संबंध में सजग हो । बोर्ड उम्मीदवार से अच्छा प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ सजग सामाजिक कार्यकर्ता होने की भी उम्मीद करता है। अत: सामाजिक क्षेत्र भी साक्षात्कार का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। इसके अंतर्गत देश में जनसंख्या की स्थिति तथा नियंत्रण के उपाय, प्राथमिक शिक्षा, स्त्री शिक्षा, बाल श्रम, प्रतिभा पलायन, निर्धनता तथा बेरोजगारी, नगरीकरण, ग्रामीण जीवन, अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों की स्थिति मान तथा सामाजिक कल्याण एवं विविध सामाजिक कुरीतियों बाल विवाह, पर्दा प्रथा विधवाओं की दयनीय स्थिति आदि पर भी प्रश्न किये जाते हैं। अतः अभ्यर्थी को चाहिये कि विविध सामाजिक समस्याओं की जानकारी के साथ उन समस्याओं के समाधान के संबंध में भी
उसका दृष्टिकोण स्पष्ट हो ।
आर्थिक -कोई भी राष्ट्र तब तक प्रगति नहीं कर सकता, जब तक उसका आर्थिक प्रभा ढाँचा सुव्यवस्थित न हो एवं उसकी आर्थिक नीतियाँ पारदर्शी न हों। वर्तमान समय में आर्थिक पक्ष अन्य सभी पक्षों पर हावी होता जा रहा है एवं काफी अंशों में आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप ही अन्य पक्षों का भी निर्धारण होने लगा है। यही कारण है कि तथा अभ्यर्थी से विविध आर्थिक नीतियों एवं योजनाओं से तार्किक रूप से परिचित होने की इस अपेक्षा की जाती है। इसके अंतर्गत उम्मीद्वार से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पक्षों तथा जाते अंतर्राष्ट्रीय बाजार के संबंध में प्रश्न पूछे जाते हैं। अभ्यर्थी से देश के आर्थिक नियोजन की महत् स्थिति तथा प्रासंगिकता, उदारीकरण की नीति तथा इसका भविष्य, सार्वजनिक उपक्रमों तथा की दशा, निजीकरण तथा विनिवेश, आधारभूत ढाँचा तथा सुधार के सुझाव, आयात निर्यात की स्थिति तथा भुगतान संतुलन, राजस्व तथा राजकोषीय घाटे में वृद्धि पेटेन्ट तथा साथ बीमा, बहुराष्ट्रीय निगम, रूपये की परिवर्तनीयता, फेरा बनाम फेमा, राजसहायता में कटौती आदि पर तथा इसके अतिरिक्त विश्व व्यापार संगठन की नीतियाँ, पूर्वी एशियाई देशों का संकट तथा भारत व विश्व व्यापार संगठन की नीतियाँ, पूर्वी एशियाई देशों का संकट तथा भारत व विश्व पर उसका प्रभाव, यूरो का भविष्य एवं भारत को लाभ विश्व बैंक व अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की स्थिति तथा प्रशुल्क व निवेश जैसे विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं
उदारीकरण बनाम आर्थिक नियोजन के संदर्भ में आपके क्या विचार हैं ? दोनों में किसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए?
भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी तथा नकारात्मक आर्थिक लक्षणों को देखते हुए क्या आप सोचते हैं कि उदारीकरण की नीति हमारे यहाँ विफल हो रही है? भारत में वर्तमान श्रमिक कानूनों को क्या आप औद्योगिक प्रगति के मार्ग में बाधक
मानते हैं? एक्जिट पॉलिसी (निकास नीति) को आप भारतीय परिवेश में कितना प्रासंगिक यूरो संघ के भविष्य पर आप क्या सोचते हैं? क्या यह अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक पटल पर पाते हैं?
अंतबंध में भी अमेरिका की चौधराहट पर अंकुश लगा सकेगा?
ब्रिटेन के पृथक्करण के बाद यूरो संघ का भविष्य व ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर क्या आर्थिक प्रभाव पड़ेंगे?
भारत की मौद्रिक नीति महँगाई को दूर करने में कहाँ तक कारगर हो रही है?
विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी- वर्तमान समय में हम 21वीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं रण है कि तथा विविध प्रौद्योगिकीय आविष्कारों ने विश्व को सम्पूर्ण जीवन शैली को बदल डाला है। होने की इस क्षेत्र में अभ्यर्थी से विज्ञान के मूलभूत नियमों तथा सिद्धांत के बारे में प्रश्न नहीं किये पक्षों तथा जाते, अपितु विज्ञान के सामान्य नीतिगत स्वरूप एवं नवीनतम जनोपयोगी खोजो तथा अन्य भोजन की महत्वपूर्ण अनुसंधानों के औचित्यता पर प्रश्न किये जाते हैं। इसके अंतर्गत भारत के उपग्रह उपक्रमों तथा प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम, सूचना प्रौद्योगिकी, क्लोनिंग, जैव तकनीक, चिकित्सकीय अनुसंधान तथा विविध रोगों के नियंत्रण के संबंध में स्थिति, अंटार्कटिका मिशन, समुद्री अन्वेषण के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र में संबंधित समस्याओं पर नीतिगत प्रश्न किये जाते हैं। इसरो के बढ़ते हुए व्यापारिक प्रक्षेपण पर प्रकाश डालिए।
परिकल्पनात्मक- जैसा कि पूर्व में विवेचन किया जा चुका है कि साक्षात्कार उम्मीदवार के ज्ञान का परीक्षण न होकर उसके व्यक्तित्व का परीक्षण होता है एवं बोर्ड द्वारा अभ्यर्थी के व्यक्तित्व की जाँच के उद्देश्य से विविध प्रकार के प्रश्न किये जाते हैं।। साक्षात्कार बोर्ड प्रायः अभ्यर्थी से परिकल्पनात्मक प्रश्न भी पूछता है। इसके अंतर्गत | अभ्यर्थी के सामने किसी विशेष स्थिति को रखकर उससे अपेक्षा की जाती है कि उक्त | परिस्थिति में वह उस समस्या का समाधान किस प्रकार करेगा? इस प्रकार के प्रश्न अभ्यर्थी की त्वरित निर्णय क्षमता, मानसिक सतर्कता तथा दृष्टिकोण के मूल्यांकन के उद्देश्य से किये जाते हैं।
प्रत्याशी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन-
साक्षात्कार मण्डल द्वारा प्रत्याशी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन कुछ विशेष मापदण्डों के आधार पर किया जाता है। जो प्रत्याशी उन मापदण्डों पर खरे उतरते हैं, वे ही
साक्षात्कार में सफल होते हैं। आयोग निम्नलिखित मापदण्डों के आधार पर किसी प्रत्याशी के व्यक्तित्व का
1. नेतृत्व का गुण - (क) समूह को प्रभावित करने की क्षमता
मूल्यांकन करता है -
(ख) पहल करने की योग्यता
(ग) साहस
(घ) चातुर्य एवं अनुकूलता
(ङ) तनावपूर्वक स्थिति में शांत रहना
(च) कर्तव्य एवं दायित्व बोध
(छ) आत्मविश्वास
2. संचार कौशल
(क) भाषा
(ख) स्वर और शैली (ग) अभिव्यक्ति की क्षमता
(घ) स्वर की स्पष्टता
3. बाह्य व्यक्तित्व
4. बौद्धिक क्षमताक्षमता
5. ग्रहणशीलता
6. निर्णय क्षमता
7. सामाजिकता (क) सहकारिता
(ख) टीम भावना
(ग) शिष्टाचार
8. मानसिक सतर्कता
9. दृष्टिकोण की स्थिरता
10. विचारों की सम्बद्धता
साक्षात्कार देने से पूर्व आपको निम्नलिखित दो बातें अवश्य ध्यान में रखनी
(क) आपको क्या करना चाहिए प्रमाणपत्रों को फाइल में लगाएँ - - साक्षात्कार के समय बायोडाटा में दी गई सूचनाओं की पुष्टि के लिए प्रमाणपत्रों की आवश्यकता पड़ती है। अतः अपनी शैक्षणिक योग्यताओं, अनुभव आदि के सभी प्रमाणपत्रों को भली प्रकार फाइल में लगा लें। यह ध्यान रखें कि प्रमाणपत्र प्राथमिकता के आधार पर क्रमबद्ध रूप से फाइल में लगे हों। साक्षात्कार के दौरान लगने वाले कागजात जैसे- डिग्री, डिप्लोमा, सार्टिफिकेट आदि की एक चेक लिस्ट बना लें इससे आपको अपने प्रमाणपत्रों को सही ढंग से प्रस्तुत करने में सहायता मिलेगी ।
उचित पोशाक पहनें - साक्षात्कार के दिन शालीन, अवसरानुकूल (मौसम अनुसार) पोशाक पहनें। एक अच्छी पोशाक से व्यक्तित्व में निखार आता है। पोशाक का चयन आपके व्यक्तित्व, चरित्र एवं मूल्यों को दर्शाता है। साक्षात्कारक बोर्ड के सदस्यों की आँखें आपकी ओर लगी होती हैं, वे आपके वस्त्रों से आपकी सोच, आपके चरित्र और मूल्यों का आँकलन करने में अत्यधिक चतुर होते हैं। इसलिए शालीन, मौसम के अनुकूल और औपचारिक पोशाक पहने पोशाक ऐसी हो जिसमें आप स्वयं को सहज अनुभव करें। ज्यादातर साक्षात्कार के दौरान फार्मल कपड़े ही पसंद किये जाते हैं। कृपया इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि आपका पहनावा ही आपके व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है अतः पोशाक चयन में सावधानी बरतें।
पुरूष सादा, हल्के रंग की, स्वच्छ एवं प्रेस की हुई कमीज और गहरे रंग की पैंट पहनें। कमीज और पैंट के रंग की सही मैचिंग का ध्यान अवश्य रखें। रंगों के चयन में सौम्यता का ध्यान रखें। यदि सहज अनुभव करते हों तो टाई अवश्य लगाएँ।
महिलाएँ औपचारिक पोशाक जैसे साडी अथवा सूट पहनें। वे तड़क-भड़क वाली
या अत्याधुनिक पोशाक न पहनें एवं सौंदर्य प्रसाधनों का अत्यधिक प्रयोग भी न करें। यह ध्यान रखें कि आप एक प्रशासनिक अधिकारी बनने आयें हैं किसी विवाह या समारोह में सम्मिलित होने नहीं।
बाह्य व्यक्तित्व को सँवारें- साक्षात्कार में बाह्य व्यक्तित्व का विशेष महत्व है, क्योंकि साक्षात्कार कक्ष में प्रवेश करने पर साक्षात्कार मण्डल सर्वप्रथम प्रत्याशी के बाह्य व्यक्तित्व को ही परखता है। बाह्य व्यक्तित्व व्यक्ति में मानसिक स्तर का दर्पण होता है। साक्षात्कार मण्डल पर प्रभाव जमाने के लिए स्वयं को साक्षात्कार की प्रकृति अथवा पद के अनुरूप सँवारे। आपके बाल, नाखून, मूँछे ठीक से कटी हुई और सँवरी हों। अगर बाल कटवाने हों तो साक्षात्कार की तिथि से
10-15 दिन पहले कटवाएँ। नये रंगरूट बनकर न जाये। जूते सैंडिलें पॉलिश की हुई हों। महिलाएँ अधिक आभूषण न पहनें, वे गले में हल्का साहार या चैन पहन सकती हैं।
समय पर पहुँचे -साक्षात्कार हेतु निर्धारित किए गए समय के कम-से-कम आधा घण्टा पूर्व साक्षात्कार स्थल पर पहुँचे। ऐसा करने से आप अनावश्यक तनाव और हड़बड़ी से बच जाएंगे। कई बार साक्षात्कार स्थल को ढूँढने में काफी समय के बाद अथवा कुछ ही समय पूर्व साक्षात्कार स्थल पर पहुँच पाता है। इससे अकारण तनाव पैदा होता है और साक्षात्कार में प्रदर्शन प्रभावित होता है। अतः आप समय से पहले ही साक्षात्कार स्थल पर पहुँच जाएँ, इससे आप वहाँ के वातावरण से स्वयं को समायोजित कर सकेंगे और तनाव व साक्षात्कार से पूर्व उत्पन्न होने वाला मनोवैज्ञानिक दबाव कम होगा। वहाँ उपस्थित अन्य प्रत्याशियों से बातचीत करके आप सहज हो सकेंगे। उनके साथ विचारों का आदान-प्रदान करने से आपको कुछ नवीन तथ्य प्राप्त होंगे और साक्षात्कार का एक हल्का-फुल्का अभ्यास भी होगा।
चिंता और घबराहट से मुक्त रहें -साक्षात्कार से पूर्व चिंता और घबराहट होना स्वाभाविक है, परंतु आत्मविश्वास के साथ अपनी सोच को सकारात्मक रखें। परिणाम की चिंता न करें। इससे आपको चिंता एवं घबराहट से मुक्त होने में सहायता मिलेगी। एकाग्रता, ध्यान आदि से भी अनावश्यक दबाव से बचा जा सकता है। साक्षात्कार मण्डल प्रत्याशी के साथ सदैव सकारात्मक रवैया अपनाता है। उसके सदस्यों का व्यवहार कुछ ही समय में आपको सहज बना देगा। उनके लिए भी यह आवश्यक है कि वे प्रत्याशी को शीघ्र ही चिंता और घबराहट से मुक्त कर दें ताकि वे प्रत्याशी की वास्तविकता योग्यताओं का आँकलन शी के बाह्य मनोविज्ञानिक को भी सम्मिलित कर लेते हैं। कर सर्वाधिक उपयुक्त प्रत्याशी का चयन कर सकें। सामान्यतः साक्षात्कार पैनल में एक सेता है।
प्रसन्नचित्त एवं चुस्त रहें -साक्षात्कार के दिन प्रसन्न रहें। प्रसन्न एवं चुस्त रहने से थवा पद के व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है। दूसरों को प्रभावित किया जा सकता है। स्वयं को चुस्ती अगर बाल फुर्ती से भरपूर रखें। चुस्ती-फुर्ती एवं प्रसन्नता के लिए स्वस्थ रहना भी आवश्यक है। बनकर न इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। साक्षात्कार से पूर्व अपने में हल्का स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें, कहीं ऐसा न हो कि साक्षात्कार वाले दिन आप बीमार पड़ जाएँ या किसी छोटी-मोटी बीमारी के शिकार हो जाएँ।
खुशमिजाजी- साक्षात्कार के दौरान आपके प्रसन्न एवं हंसमुख रहने से माहौल हड़बड़ी काफी खुशनुमा बन जायेगा इसके अलावा आपकी मधुर मुस्कान, नमस्कार करने का या कुछ तरीका उचित हो तो सदस्यों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
साक्षात्कार कक्ष में प्रवेश -जब आपका नाम साक्षात्कार हेतु पुकारा जाए तो सहज हो जाएँ। अपनी पोशाक और टाई को ठीक करें। साक्षात्कार-कक्ष में प्रवेश करने से तनाव पूर्व दरवाजा खटखटाकर अंदर आने की अनुमति माँगें। अनुमति मिलने पर नपे-तुले कदमों से, जूतों की आवाज किए बिना कक्ष में प्रवेश करें और धीरे से दरवाजा बंद कर दें। प्रवेश करते ही साक्षात्कार मण्डल के अध्यक्ष एवं सदस्यों का अभिवादन करें। जब आपसे बैठने के लिए कहा जाए तो सामान्य स्थिति में बैठ जाएं। आराम तलब होकर अथवा अकड़कर न बैठें अनुभवी साक्षात्कार मण्डल आपको सहज बनाने के लिए अनौपचारिक प्रश्नों से साक्षात्कार का प्रारंभ करता है। जैसे आपकी यात्रा सम्बन्धी, आपके गृह स्थान
के मौसम संबंधी और ऐसे ही अन्य अनौपचारिक प्रश्नों से साक्षात्कार शुरू होता है। तरह के वार्तालाप से प्रत्याशी स्वयं को वातावरण में समायोजित कर लेता है और उसमें आत्मविश्वास उत्पन्न होता है।
शारीरिक हाव-भाव ठीक रखें- शारीरिक हाव-भाव से मनुष्य के व्यक्तित्व की पहचान होती है। साक्षात्कार में चलन, उठना, बैठना, देखना आदि शारीरिक क्रियाओं एवं अंग संचालन का विशेष महत्व होता है। आप साक्षात्कार कक्ष में प्रवेश करते समय एवं साक्षात्कार के समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखें। कक्ष में प्रवेश करते समय कमर और कंधों को सीधा रखें। कुर्सी पर शालीनता से बैठें। चेहरे पर प्रसन्नता और विश्वास का भाव रखें। खिला हुआ चेहरा व्यक्तित्व में निखार लाता है और सबको आकर्षित करता है।
साक्षात्कार के दौरान आपके चेहरे व आँखों से विश्वास झलकना चाहिए। साक्षात्कार मण्डल के सदस्यों की आँखों में देखते हुए प्रश्नों के उत्तर दें क्योंकि आँखें झुकाकर अथवा इधर-उधर देखते हुए उत्तर देने से आपके अंदर का भय, घबराहट और आत्मविश्वासहीनता प्रदर्शित होती है।
संक्षिप्त और सही उत्तर दें-
साक्षात्कार मण्डल के प्रश्नों के उत्तर देते समय संक्षिप्तताक का ध्यान रखें। यह है महत्त्वपूर्ण नहीं होता कि आप कितना बोलते हैं बल्कि महत्त्व इस बात का होता है कि आप क्या और कैसे बोलते हैं साक्षात्कार मण्डल आपसे सटीक, सही और संक्षिप्त उत्तर की अपेक्षा करता है। संक्षिप्तता से तात्पर्य 'हाँ' अथवा 'नहीं' में उत्तर देने से नहीं वरन् विषय को स्पष्ट और सारगर्भित रूप में प्रस्तुत करने से है ।
कम बोलें-
किसी भी नौकरी के लिए दिया जाने वाला साक्षात्कार एक औपचारिक वार्तालाप होता है। औपचारिक वार्तालाप में इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि कोई भी सूचना अकारण ही अपनी ओर से देने का प्रयास न किया जाए। साक्षात्कार के समय आप नपे-तुले शब्दों में वार्तालाप करें। जब तक पूछा न जाए तब तक अपनी ओर से पहल करते हुए अपनी योग्यताओं का बखान न करें और न ही अनावश्यक प्रमाणपत्र कागजात दिखाने
का प्रयास करें। किसी प्रश्न का उत्तर न आता हो तो विनम्रतापूर्वक क्षमा माँग लें, ऐसे समय अन्य जानकारियों देना अथवा वाक्पटुता का प्रदर्शन करना उचित नहीं होता।
ध्यानपूर्वक सुनें-
के व्यक्तित्व क करते समय एवं मय कमर और हमारे अन्दर दूसरों का अपनी बात सुनाने के साथ-साथ दूसरों को ध्यानपूर्वक सुनने का गुण भी होना चाहिए। दूसरों को ध्यानपूर्वके सुनकर ही हम उनकी बात को स्पष्ट रूप से समझकर उसका सही उत्तर दे सकते हैं। यदि हम किसी की बात को अधीरतापूर्वक सुनेंगे तो हम उत्तर में कोई ऐसी बात भी कह सकते हैं जो प्रश्न से असम्बद्ध हो। अतः आप साक्षात्कारकर्ता के प्रश्न को पहले ध्यानपूर्वक सुनें उसके पश्चात् ही उत्तर दें साक्षात्कारकर्ता को ध्यानपूर्वक सुनकर आप उसकों केवल प्रभावित ही नहीं करेंगे बल्कि इससे उसके मन में आपके प्रति एक सकारात्मक भाव भी पैदा होगा। यदि आप प्रश्न को ठीक से समझ न पाए हों तो साक्षात्कारकर्ता से क्षमा माँगते हुए प्रश्न दोहराने को कहें। प्रश्न दोहराने को कहने में संकोच न करें क्योंकि प्रश्न को ठीक से न समझते हुए गलत उत्तर देना अत्यधिक हानिकारक है।
उत्तर संयम एवं शिष्टता से दें-
साक्षात्कार मण्डल प्रत्याशी के संयम एवं शिष्टाचार का आकलन अवश्य ही करता न रखें। यह है। अनेक बार साक्षात्कार मण्डल आपके सही उत्तर को गलत ठहराकर अथवा कोई अटपटा या नितांत व्यक्तिगत प्रश्न करके आपको उत्तेजित कर सकता है। ऐसी स्थिति स्वयं का सन्तुलित रखें और संयम कदापि न खोएँ। शिष्टतापूर्वक उचित तर्क द्वारा उत्तर दें। ध्यान रखें कि साक्षात्कार मण्डल का उद्देश्य आपको चिढ़ाना अथवा आपके व्यक्तिगत जीवन में झाँकने का नहीं होता। यह केवल यह देखना चाहता है कि उत्तेजनापूर्ण परिस्थितियों में आप संयम एवं शिष्टाचार तो नहीं खो देते। साथ ही मनोवैज्ञानिक सदस्य आपके हावभाव एवं ज्ञान तथा आत्मविश्वास की परीक्षा करने के लिए ही अटपटा या नितांत व्यक्तिगत प्रश्न करता है।
आत्मविश्वास व उत्साह से उत्तर दे-
आत्मविश्वास एवं उत्साह किसी व्यक्ति का एक ऐसा गुण है जो उसके व्यक्तित्व से स्वतः ही झलकता है। इसके लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं वरन् साक्षात्कार को सामान्य रूप से लेने की आवश्यकता होती है। है जब आप साक्षात्कार के परिणाम में बिनामूक होकर स्वयं को प्रस्तुत की। साक्षात्कार के दौरान प्रसन्न मुद्रा में रहते हुए प्रत्येक प्रश्न का उत्तर आत्मविश्वास व उत्साह के साथ है। मन में यदि कोई डाउट हो तो उस चीज को बोर्ड के समक्ष na laye वनायें।
भाषा दक्षता का ध्यान रख-
भाषा ही विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। भाषा दक्षता के बिना हम अपने मन के विचारों को ठीक प्रकार से प्रस्तुत नहीं कर सकते वही प्रत्याशी साक्षात्कार है सफल हो सकता है जो अपने विचारों को भाषा कौशल के साथ अभिव्यक करने की क्षमता रखता है। इसलिए आप साक्षात्कार देते समय शब्द चयन, स्वर के उतार-चढ़ाव, सही उच्चारण, वाक्य में विराम चिन्हों के प्रयोग आदि का ध्यान रखें। बोलते समय वाक्यों के बची में थोड़ा विराम देने से बात को प्रभावशाली ढंग से कहा जा सकता है। भाषा एवं संवाद कौशल के विकास के लिए आप किसी भी जनरुचि के विषय पर कुछ पंक्तियों के उच्चारण का अभ्यास करें। आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले समाचारों, वार्ताओं, परिचर्चाओं को ध्यानपूर्वक सुनना भी लाभकारी रहता है। इससे शब्दों के सही उच्चारण का ज्ञान होता है साथ ही विविध विषयों की नवीनतम जानकारी भी प्राप्त हो जाती है, परन्तु यह आवश्यक है कि प्रतिदिन स्वलिखित अथवा समाचार पत्र की कुछ पंक्तियों को बोलकर पढ़ने का अभ्यास किया जाए।
क्रमबद्धता का ध्यान रखें-
किसी भी प्रश्न का उत्तर देते समय क्रमबद्धता का ध्यान अवश्य रखें। उदाहरण के तौर पर यदि यह प्रश्न पूछा जाए कि 1857 ई. की क्रान्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? | तो उत्तर देते समय क्रान्ति के कारण, स्वरूप परिणाम निष्कर्ष आदि को क्रमबद्ध रूप से। प्रस्तुत करें और उचित तर्कों द्वारा अपने विचारों की पुष्टि करें।
स्वाभाविक रहें-
प्रत्येक व्यक्ति स्वाभाविक रूप से दूसरे से भिन्न होता है। साक्षात्कार के समय यह भिन्नता प्रकट होनी चाहिए। इसके लिए साक्षात्कार मण्डल के सामने स्वयं को स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत करें। किसी भी प्रकार के बनावटी व्यवहार से बचें बनावटीपन अधिक समय तक नहीं चलता। साक्षात्कार मण्डल के सदस्य अस्वाभाविक व्यवहार को शीघ्र ही जान जाते हैं। बनावटीपन से स्पष्ट रूप से प्रकट होता है कि प्रत्याशी द्वारा प्रस्तुत किए जा
15 रहे विचार स्वयं उसके नहीं बल्कि दूसरों के और पूर्वनिर्धारित या रहे रटाएँ हैं और उसके व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं हैं। साक्षात्कारकर्ता एक अभिनेता के स्थान पर स्वाभाविक व्यक्ति को देते हैं। अतः आप साक्षात्कार के समय स्वाभाविक व्यवहार करें।
साक्षात्कार मण्डल पर अन्तिम छाप छोड़ें-
साक्षात्कार की समाप्ति पर साक्षात्कार मण्डल के सदस्यों को मुस्कराते हुए विनम्रतापूर्वक धन्यावाद दें। यदि कोई साक्षात्कारकर्ता हाथ मिलाने की पहल करता है तो उससे मुस्कराते हुए हाथ मिलाएँ।
साक्षात्कार मण्डल की ओर मुख रखते हुए कक्ष का दरवाजा खोलें। बिना आवाज किए बाहर निकलें और धीमें से दरवाजा बन्द कर दें। इस प्रकार अन्तिम रूप से आप शिष्टाचार का पालन कर साक्षात्कार मण्डल पर अपना स्थायी प्रभाव छोड़ सकते हैं।
आपको क्या नहीं करना चाहिए:
भड़कीली साज-सज्जा न करें-
साक्षात्कार वाले दिन तड़क-भड़क वाली साज-सज्जा न करें। अनावश्यक साज श्रृंगार और आभूषण न पहनें। जूते / सैडिंल आवाज करने वाले न हों। कपड़े न तो ज्यादा तंग हों और न ही ज्यादा ढीले । उचित फिटिंग वाले कपड़े पहनने चाहिए।
चालाकी न दिखाएँ-
साक्षात्कार मण्डल के सदस्य अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ और अनुभवी होते हैं। उनके साथ चालाकी करना या उन्हें धोखा देना कठिन होता है। उन्हें अपने बारे में कोई भी गलत सूचना ने दें क्योंकि वे अपनी पारखी दृष्टि और अनुभव से कहीं न कहीं आपकी सच्चाई को जान जाएँगे, जिससे आपकी छवि अत्यधिक खराब होगी। किसी प्रश्न का उत्तर न आता हो तो विनम्रतापूर्वक अपनी अनभिज्ञता प्रकट कर दें। अनुमान के आधार पर उत्तर देने का प्रयास कदापि न करें। बोर्ड के सदस्यों को बीच में न टोंके। साथ ही यह ध्यान रखें कि सदस्यगण साक्षात्कार लेने के विशेषज्ञ सदस्य होते हैं।
अशिष्टता न करें-
प्रत्याशी साक्षात्कार-कक्ष का दरवाजा खटखटाएँ बिना न खोलें। बिना आज्ञा अन्दर प्रवेश न करें। चलते बैठते, उठते, समय अनावश्यक आवाज न करें। साक्षात्कार बोर्ड है। सदस्यों के साथ अशिष्ट व्यवहार न करें।
घबराएं नहीं-
साक्षात्कार के लिए जाने से पूर्व कुछ चिन्ता होना स्वाभाविक है, परन्तु को इतनी गम्भीरता से नहीं लेना चाहिए कि घबराहट और चिन्ता के कारण साक्षात्कार के दौरान प्रदर्शन प्रभावित हो घबराने से बुद्धि और विवेक अस्थिर हो जाते हैं। अन घबराह नहीं।
उत्तर देने में जल्दबाजी न करें-
साक्षात्कार बोर्ड के प्रश्नों का उत्तर देने से पूर्व पूछे गए प्रश्न को भली प्रकार
समझकर ही सही उत्तर दिया जा सकता है।
उत्तर देते समय जल्दबाजी करने पर उत्तर गलत अथवा आधा-अधूरा हो सकता है। अतः उत्तर देने में कभी भी जल्दबाजी न करें धैर्य न खोएं प्रत्याशी की धैर्यशीलता का परीक्षण करने के लिए साक्षात्कार बोर्ड अनेक बार एक हो।
प्रश्न की पुनरावृत्ति करता है। ऐसी स्थिति में धैर्य न खोएँ, विनम्रतापूर्वक प्रश्न का उत्तर दें।
चापलूसी करने का प्रयास न करें –
चापलूसी करने से साक्षात्कार बोर्ड की नजरों में प्रत्याशी की छवि खराब होती है अतः साक्षात्कार बोर्ड के अध्यक्ष अथवा किसी भी सदस्य की चापलूसी न करें।
प्रति प्रश्न (क्रॉस-क्वैश्चन) न करें-
साक्षात्कार एक औपचारिक प्रक्रिया होती है जिसमें साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों द्वारा प्रत्याशी के व्यक्तित्व परीक्षण हेतु प्रश्न पूछे जाते हैं। अतः इस औपचारिक प्रक्रिया की गरिमा को बनाए रखने के लिए बोर्ड के सदस्यों से प्रति प्रश्न न करें, इससे आपका प्रदर्शन प्रभावित होता है।
कटु वचन न बोलें-
याद रखें, जब कटु वचन दैनिक व्यवहार में ही व्यक्ति को लोगों के बीच अप्रिय बना हैं तो साक्षात्कार जैसी औपचारिक प्रक्रिया में तो कटु वचन असफलता की ओर हो ले जा सकत हैं। अतः साक्षात्कार के दौरान किसी भी स्थिति में कटु वचन न बोलें।
अशिष्ट अंग संचालन न करें-
साक्षात्कार के दौरान अशिष्ट अंग संचालन जैसे-पैर हिलाना, हाथ हिलाना, मेज पर हाथ या अँगुली मारना अथवा हाथ फेंककर वार्तालाप करने से अष्टिता प्रकट होती है। अतः अशिष्ट अंग संचालन न करें।
साक्षात्कार बोर्ड से बहस न करें-
साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों से बहस न करें। इससे अशिष्टता प्रकट होती है। यह साक्षात्कार की गरिमा के विरुद्ध है। साथ ही यह ध्यान रखें कि साक्षात्कार के समय आप किसी सदस्य को बीच में न टोंके साथ ही सदस्यों की ओर मुखातिब होकर ही जबाव दें।
रूखा बर्ताव न करें-
लगातार कई प्रश्नों का सही उत्तर न दे पाने पर कुछ प्रत्याशी साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों से रूखा बर्ताव करने लगते हैं। उन पर झल्ला उठते हैं। ऐसे प्रत्याशियों की साक्षात्कार में सफलता की सभी सम्भावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। अतः साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों के साथ रूखा व्यवहार न करें।
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